Thursday, 31 May 2012


मूल्य शिक्षा और समाज !

आज समाज में फ़ैल रही कुरीतियों की चर्चा तो चारों और हो रही है;  परन्तु ऐसा क्यों हो रहा है इस बात पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है . हम सब अपने मौलिक गुणों को भूल कर अपना मौलिक स्वरुप भी भूलते जा रहे है. तभी अनचाही बुरी आदते कुरीतियां बन हमारे समक्ष आ खड़ी है . भ्रष्टाचार इस कदर फ़ैल गया है की हमें इसकी आदत हो गयी है क्योंकि भ्रष्टाचार आज हमें एक आम बात लगती है . हम में से किसी के पास भी इतना वक्त नहीं है की इन सब बातों के बारे में सोचे भी . पर यदि आज अगर इस बात पर गौर नहीं किया गया तो तो आने वाली हमारी पीढ़ी को क्या दे कर जायेंगे हम ? और उनसे क्या उम्मीद रखेंगे हम ?

समस्या है तो समाधान तो होगा ही. समस्या जितनी डरावनी है समाधान उतना ही असान है . समाधान है अपनी ही सोयी हुई शक्तियों को जगाना, अपने अंदर मानवता को जगाना, अपने अंदर उन मूल्यों को फिर से जागृत करना जो अभी सोये हुए है . हर व्यक्ति को अपने आप को मूल्यवान बनाना होगा ताकि एक मूल्यवान समाज की स्थापना हो सके .

याद रखना होगा की हमारे मुल्य ही हमारी ताकत है. ईमानदारी, शांति, सच्चाई, परखशक्ति, विश्वास, श्रद्धा, इश्वरीय शक्ति पर विश्वास व आध्यात्मिकता को फिर से जगाना होगा. मूल्यों को समझना होगा और मूल्यों की तकात को समझना होगा और मूल्यों को अपना कर उन्हें अपने जीवन में समाहित करना होगा. मूल्य जीवन में कैसे आते है इस तकनीक को भी समझना होगा .

मूल्यों के संदर्भ में एक नियम है की यदि एक मूल्य को अपना लिया जाए तो दूसरे मुल्ये जीवन में अपने आप आने शुरू हो जाते है क्योंकि सभी मुल्ये एक दूसरे पर निर्भर होते है. आज बहुत आवश्यक है की हमारे बच्चे मूल्यों की जरुरत व ताकत को समझे और आवश्यकता अनुसार उन्हें अपनायें भी. तभी एक सुन्दर समाज का निर्माण हो पायेगा.

अध्यात्मिकता को समझना होगा. आध्यात्मिकता का सरल अर्थ यह है की “स्वयं का अध्ययन” . हमें समझना होगा की कैसे हम अध्यात्मिक हो सकते है स्वयं का हम कैसे अध्ययन कर सकते है. सरल अध्यात्मिक नियमों को समझ कर अपने जीवन को महान बनाना होगा.

इच्छाशक्ति एक ऐसी शक्ति है जो हमें तटस्थता सिखाती है. सबसे पहले इच्छाशक्ति से हम किसी भी एक मुल्य को अपने जीवन में धारण करे और उस मुल्य को आधार बना हम अपने अंदर दूसरे मूल्यों को निमंत्रण दे.

इसके लिए ध्यान की विधि को अपनाना होगा. चारो और फैली हुई इश्वरीय शक्ति से जब है स्वयं को ध्यान के माध्यम से जोडते है तब शक्ति के उस महान स्त्रोर से गुण व् शक्तियां अपने आप ही हमारे अंदर आनी शुरू हो जाती है . यह एक अटल नियम है और परखा हुआ भी है .

आप चाहे किसी भी धर्म से सबंध रखते हो, अपने धर्म के मुताबिक आप ध्यान के माध्यम से ईश्वरीय शक्तियां से जुड़ सकते है और अपना जीवन मूल्यवान बना सकते है. धीरे धीरे आपसे मुल्य आपके परिवार में व फिर समाज में फैलते चले जायेगें और एक सुन्दर विश्व की रचना होती चली जायेगी और सब कुरीतियां अपने आप ही समाप्त होती चली जायेगी .


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